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प्याज उत्पादन

Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

Onion Price: किस सरकारी गणित को सुलझाने में उलझे हैं प्याज किसान ?

ओनियन प्राइज (Onion Price), यानी भारतीय स्वादिस्ट व्यंजनों में तड़के की अहम कारक,
प्याज के दामों में फिर असमंजस की छौंक लगी है। इस बार प्याज की कीमतों के उन आंकड़ों को लेकर विरोधाभास पैदा हुआ है, जिसे सरकार ने जारी किया है। प्याज के उत्पादन और विक्रय मूल्य पर निर्मित असमंजस से जुड़े आंकड़ों मेें इस बार सवाल उपजा है, कि क्या किसानों को फिर से प्याज़ का भाव कम मिलेगा ?

मतांतर की वजह

एक टीवी चैनल पर जाहिर किसान संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी के विचारों के बाद यह विषय प्रकाश में आया है। मामला प्याज उत्पादन संबंधी पिछले साल के मुकाबले 50 लाख मीट्रिक टन अधिक होने के अनुमान से जुड़ा है। ये भी पढ़ें : प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

इस डेटा पर असमंजस

केंद्र सरकार के प्याज उत्पादन से संबंधित आंकड़ों को किसानों ने खारिज कर दिया है। किसानों की राय में इस अनुमान के अनुसार तो इससे प्याज के दामों में गिरावट होगी। किसानों का दावा कि अभी वे 50 पैसे से लेकर 5 रुपये प्रति किग्रा तक के दाम पर प्याज बेचने को विवश हैं।

आंकड़ों ने बढ़ाई धड़कन :

बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान संबंधी केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के लिए जो आंकड़े जारी किये हैं उस पर ही किसानों को असमंजस है। उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान संबंधी सरकारी आंकड़ों के मान से प्याज का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 50,62,000 मीट्रिक टन अधिक होने का अनुमान है।

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आशंका बाजार में गफलत की :

किसानों का मानना है कि, इन आंकड़ों के मान से जब पैदावार इतनी ज्यादा बढ़ जाएगी तो बाजार में प्याज के दामों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। एक आशंका यह भी है कि, मंडियों में किसानों को फिलहाल मिल रहे प्याज के दामों में इन अनुमानित आंकड़ों से और गिरावट हो सकती है। प्याज उत्पादक किसानों ने केंद्र सरकार से इन आंकडों के बारे में सरकारी स्तर पर गणित को समझाने की मांग की है। किसान नेताओं ने फसलों के अग्रिम अनुमान की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।

महाराष्ट्र का हवाला :

इस बारे में महाराष्ट्र का हवाला महाराष्ट्र किसान संगठनों ने दिया है। बताया जा रहा है कि, बीते तीन माह से महाराष्ट्र में प्याज के दाम 50 पैसे से लेकर 5 रुपये किलोग्राम के स्तर पर जा पहुंचे हैं। किसान प्याज कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं।

आंकड़े यह भी :

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में साल 2021-22 के दौरान सवा तीन करोड़ से अधिक (3,17,03,000) मीट्रिक टन प्याज पैदा होने का अनुमान है। पिछले आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2020-21 में महज 2,66,41,000 मीट्रिक टन प्याज उत्पादित हुई। इस मान से बीते साल से 50 लाख 62000 मीट्रिक टन अधिक प्याज का उत्पादन का अनुमान है।

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आंकड़ों का आधार :

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का आधार रिकॉर्ड बुवाई बताया गया है। इस वर्ष 2021-22 में 19,40,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी। साल 2020-21 में 16,24,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बोवनी हुई। अर्थात 3,16,000 हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में बुवाई हुई थी। महाराष्ट्र राज्य कांदा उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी किए गए प्याज उत्पादन के आंकड़ों पर संशय जताया है। एक डिजिटल टीवी नेटवर्क से चर्चा में उन्होंने डेटा को हकीकत से परे बताया है। उन्होंने प्याज उत्पादन लागत पर लाभ जोड़कर, प्याज का एक न्यूनतम रेट तय करने की मांग की है, ताकि अनुमानित आंकड़ों से किसानों को संभाव्य अनुमानित भारी नुकसान न हो।  
रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

महाराष्ट्र भारत में प्याज उत्पादन के मामले में विशिष्ट राज्य है,क्योंकि महाराष्ट्र में प्याज का उत्पादन काफी किया जाता है। बतादें कि वर्ष में तीन बार प्याज की फसल उगाई जाती है। प्रदेश के सोलापुर, नासिक, पुणे, धुले व अहमदनगर जनपद में सर्वाधिक प्याज का उत्पादन होता है। प्रदेश में फिलहाल रबी सीजन के प्याज की पैदावार की तैयारी चालू है। महाराष्ट्र में किसान अधिकतर प्याज की खेती करते हैं। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य में देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक जनपद के लासलगांव में स्थित है। सामान्य रूप से अधिकतर प्रदेशों द्वारा वर्ष में एक ही बार प्याज का उत्पादन किया जाता है। परंतु महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है, प्रदेश में एक वर्ष के दौरान रबी सीजन, खरीफ, खरीफ के बाद इस तरह प्याज का तीन बार उत्पादन है।


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महाराष्ट्र राज्य के किसान अधिकतर प्याज का उत्पादन करते हैं और इस पर ही आश्रित रहते हैं हालाँकि सर्वाधिक प्याज उत्पादन रबी सीजन में ही प्राप्त होता है। प्याज के द्वितीय सीजन की बुआई अक्टूबर-नवंबर माह के मध्य में होती है। इसकी फसल जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज का फसल का तीसरा समय रबी सीजन में होता है। रबी सीजन की बुवाई दिसंबर से जनवरी के मध्य होती है, और इसकी फसल की पैदावार मार्च से मई के मध्य ली जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की कुल पैदावार का ६० प्रतिशत उत्पादन रबी सीजन के दौरान होता है।

ज्यादातर प्याज की खेती कौन से जिलों में होती है

महाराष्ट्र राज्य के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा जनपद में ज्यादा खेती होती है। बतादें कि मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में भी प्याज उत्पादन किया जाता है। इसमें भी प्याज उत्पादन के मामले में नासिक जनपद अपनी अलग पहचान रखता है, इसकी मुख्य वजह देश के कुल प्याज उत्पादन का ३७ % महाराष्ट्र राज्य करता है जबकि १० % उत्पादन केवल नासिक जनपद में किया जाता है।


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प्याज उत्पादन के लिए कैसी मिट्टी व भूमि सही होती है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार प्याज के उत्पादन हेतु कई प्रकार की मिट्टी का उपयोग हो सकता है। प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए चिकनी, गार, रेतीली, भूरी एवं दोमट मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिए भूमि के जल निकासी हेतु अच्छा प्रबंधन होना चाहिए। प्याज उत्पादन से पूर्व जमीन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम तीन से चार बार जुताई हो एवं रुड़ी खाद के इस्तेमाल से जैविक तत्वों की मात्रा में बढ़ोत्तरी करें। इसके बाद खेत को छोटे-छोटे भाग में बाँट दें। भूमि की सतह से १५ सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर बुवाई होनी चाहिये। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=JeQ8zGkrOCI&t=34s[/embed]
उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

जानिए एक महीने में कितने कम हो गए प्याज-टमाटर के दाम

आपने सुना होगा "आसमान से गिरे खजूर में अटके"…. लेकिन प्याज-टमाटर के मामले में "खेत में टूटे..मंडी में पिचके" वाली बात साबित हो रही है… जी हां, प्याज-टमाटर की कीमतों में आई गिरावट के बारे में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की जानकारी कहती है कि
मानसूनी बारिश के कारण मंडियों में आवक बढ़ी है। इससे औसत खुदरा मूल्य में पिछले महीने की तुलना में 29 फीसदी गिरावट आई है। मंत्रालय के अनुसार प्याज की खुदरा कीमत भी पिछले साल के मुकाबले 9 प्रतिशत कम यानी काफी हद तक नियंत्रण में है। आम आदमी की बात करें तो पिछले दिनों टमाटर के भाव जहां सुर्ख रहे तो वहीं प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहीं। अंतर की बात करें तो टमाटर की खुदरा कीमत में पिछले माह के मुकाबले 29 जबकि प्याज के दाम में 9 फीसदी तक की कमी आई।

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उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार टमाटर के अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य पिछले महीने की तुलना में 29 प्रतिशत कम हुए। मंत्रालय के आंकड़े कहते हैं कि, टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य मंगलवार को 37.35 रुपए प्रति किलोग्राम था। एक महीने पहले की समान अवधि में टमाटर की कीमत 52.5 रुपए प्रति किलोग्राम थी। बीते दिनों टमाटर के दाम (Tomato Price) में बढ़त के कारण आम जनता को खासी परेशानी हुई थी। टमाटर के मुकाबले हालांकि प्याज की कीमतें (Onion Price) नियंत्रण में रहीं।

बफर स्टॉक का सहारा -

भविष्य में भी प्याज की कीमत पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम के बारे में भी जानकारी दी गई है। मंत्रालय ने बताया है कि, सरकार ने चालू वर्ष में प्याज के 2.50 लाख टन भंडारण की व्यवस्था की है। ये भी पढ़े: अत्यधिक गर्मी से खराब हो रहे हैं आलू और प्याज, तो अपनाएं ये तरीके आज यह अभी तक का सबसे अधिक खरीदा गया प्याज का बफर स्टॉक है। मंत्रालय का कहना है कि बफर की खरीद ने कृषि मंत्रालय द्वारा 317.03 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इस साल, प्याज के मंडी दाम को टूटने से बचाने में मदद प्रदान की है। बताया गया है कि, अगस्त-दिसंबर के दौरान कीमतों की तेजी को कम करने के लिए प्याज का बफर स्टॉक सुनियोजित तरीके से जारी किया जाएगा। इस संग्रह को लक्षित खुले बाजार में बिक्री के माध्यम से रिलीज़ किया जाएगा। इसे खुदरा दुकानों के माध्यम से आपूर्ति के लिए राज्यों और सरकारी एजेंसियों को प्रदान किया जाएगा। खुले बाजार में जारी करने के लिए उन राज्यों/शहरों को लक्षित किया जाएगा, जहां कीमत पिछले महीने की तुलना में बढ़ रही है।
रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने से संबंधित विस्तृत जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने से संबंधित विस्तृत जानकारी

महाराष्ट्र भारत का प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य है। यहां बड़े स्तर पर प्याज का उत्पादन किया जाता है। यहां वर्ष में तीन बार प्याज की खेती होती है। राज्य में नासिक, पुणे, सोलापुर, धुले और अहमदनगर को प्याज उत्पादन का गढ़ माना जाता है। महाराष्ट्र में इस वक्त रबी सीजन के प्याज की रोपाई चालू हो चुकी है। राज्य में किसान सर्वाधिक प्याज की खेती करते है और यहां एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक के लासलगांव में ही है।

सामान्य तौर पर विभिन्न राज्यो में वार्षिक तौर पर एक ही बार प्याज की खेती की जाती है। परंतु, महाराष्ट्र में ऐसा कुछ नहीं है। प्रदेश में एक वर्ष के दौरान इसकी तीन फसल हांसिल की जाती हैं। यहां खरीफ, खरीफ के बाद तथा रबी सीजन में इसका उत्पादन होता है। महाराष्ट्र में प्याज एक नकदी फसल हैं। यहां के अधिकांश किसान इसकी खेती पर ही आश्रित रहते हैं। रबी सीजन में ही किसान को सर्वाधिक प्याज का उत्पादन मिलता है। 

प्याज के दूसरे सीजन की बिजाई कब की जाती है ?

प्याज के द्वितीय सीजन की बिजाई अक्टूबर-नवंबर के माह में की जाती है, जो कि इस वक्त राज्य में रोपाई चल रही है। यह जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज की तीसरी फसल रबी फसल है, इसमें दिसंबर-जनवरी में बिजाई होती है। वहीं, फसल की कटाई मार्च से लगाकर मई तक होती है। राज्य के समकुल प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत रबी सीजन में ही होता है।

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महाराष्ट्र के इन जनपदों में काफी ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है 

महाराष्ट्र के जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा, नासिक, पुणे और सोलापुर इन जनपदों में सबसे ज्यादा प्याज की खेती होती है। वहीं, मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में कृषक इसकी खेती करते हैं। नासिक जनपद ना केवल महाराष्ट्र में बल्कि संपूर्ण भारत में प्याज उगाने के लिए मशहूर है। भारत में समकुल उत्पादन में से महाराष्ट्र में 37% फीसद प्याज उत्पादन होता है और प्रदेश में 10% फीसद उत्पादन सिर्फ नासिक जनपद में किया जाता है।

प्याज की खेती के लिए कैसी मृदा होनी चाहिए ?

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, प्याज की खेती विभिन्न प्रकार की मृदा में की जा सकती है। लेकिन, चिकनी, रेतीली, दोमट, गार और भूरी मिट्टी जैसी मृदा में शानदार उपज मिलती है। प्याज की खेती में ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में जल निकासी की बेहतरीन सुविधा होनी चाहिए।

जमीन किस तरह की होनी चाहिए ?

प्याज की खेती करने से पूर्व भूमि तैयार करने के लिए सबसे पहले तीन से चार बार जुताई करनी चाहिए। साथ ही, मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए रुड़ी खाद डालें। इसके पश्चात खेत को छोटे-छोटे प्लॉट में विभाजित कर दें। भूमि को सतह से 15 सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है।

उर्वरकों का कितना उपयोग करना चाहिए ?

प्याज की फसल को ज्यादा मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्याज की फसल में खाद एवं उर्वरक का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए। गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर 20-25 टन की दर से रोपाई से एक-दो माह पूर्व खेत में डालनी चाहिए। 

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प्याज की शानदार किस्में छटाई का समय

भीमा श्वेता: सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पूर्व से ही अनुमोदित मानी जाती है, ये किस्म खरीफ में औसत उपज 18-20 टन जबकि रबी में ये 26-30 टन तक पैदावार देती है।  भीमा सुपर: खरीफ मौसम में इस लाल प्याज किस्म की पैदावार करने के लिए पहचान की गयी है। 

इसे खरीफ सीजन में पछेती फसल के तौर पर भी उगा सकते हैं। ये किस्म 95-100 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन तकरीबन 20-22 टन प्रति हेक्टेयर तक है।  प्याज की छटाई करने के सही समय की बात करें तो खेतों से प्याज निकालने का समुचित समय तब होता है जब पौधे में नमी समाप्त हो जाती है एवं उसकी गांठ तकरीबन अपने आप ऊपर आने लग जाती है।